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Karuna Stories: Muskaan From Giridih, Jharkhand

Karuna Stories: Muskaan From Giridih, Jharkhand

Submitted by Almas on 17 June 2021

My name is Muskaan Kumari, and I am from district Giridih in Jharkhand. I have been associated with FAT for the last five years.

I joined FAT with the hope of learning computers. I have not only learnt about computers but also gained knowledge about other things. For example, my awareness increased about my body, different gender issues and sexuality. The facilitators and team members of FAT enabled me to understand these issues better. Pre-covid, we went for exposure visits, where we met people from different backgrounds and learnt from them. We also participated in community events held by FAT, which gave us an opportunity to showcase our leadership skills to our neighbors and parents.

I used to be a quiet person when I joined FAT. I used to hesitate to engage in conversations because I always thought that I lacked knowledge. I thought I would be scolded and made fun of. But, FAT showed me that asking questions is good. Because of my learnings from FAT, I now try to understand things logically and ask questions where I feel some things do not fit or are not being said with the best intentions. I am not afraid of people's comments anymore. I try to put across my point of view, even if it turns out to be wrong. I have learnt that mistakes enhance my learning.

Growing up, I was never able to do anything for my rights, never speak about myself. I would just agree with people and not share my opinions. However, now I understand society's discriminations and inequalities very well and can speak up against them. I have secured a place at my home, and I am also seen as a leader in my community and gained people's respect.

I now participate in all events and programs at my college. Not only do I share my learnings with others, but I also try to learn from them as well. At college, I am associated with the National Service Scheme (NSS), where I use my knowledge that was gained from FAT. I have attended many workshops with different organizations, dealing with gender, life skills and sexual abuse, along with other young people.

When all work was halted because of COVID, and people were feeling helpless and lost during the first lockdown in 2020, FAT helped us with different assistance packages. They started the Relief Fund, Phone Recharge Fund and Wellness Fund. I personally got aid from the Relief Fund and the Phone Recharge Fund. At that point, we were facing a lot of financial difficulties, but the assistance from the Relief Fund helped us buy groceries for our families. Additionally, the Phone Recharge Fund enabled me to keep my phone charged, which allowed me to stay connected with FAT during the pandemic. This helped me learn to be digitally active through different platforms like Zoom, Google Meet etc. It further enhanced my understanding of digital security and the means to use different apps safely for my and my community's benefit. I read newspapers and shared some world news with other participants on Zoom during an online campaign at FAT - Corona Nahi Karuna. The different sessions of the campaign eased our fears and kept our minds calm. Furthermore, we learnt to listen to only credible news, thereby, assisting other people to understand how to save themselves without being fearful. It is hard to imagine how we would have coped with COVID and the different impacts of the pandemic, if not for the Corona Nahi Karuna campaign. There were incidents where girls were married without their consent and others were targets of the frustrations of their families and were beaten up. I too could have been a victim if FAT had not supported me. I would like to thank them for all the help they have provided me with.

As told by Muskaan Kumari, transcribed by Rupali Rani and translated by Remi. Currently, Muskan, is participating in the #CoronaNahiKaruna Campaign.

As told by Muskan Kumari (18), Giridih, Jharkhand

Feminist Approach to Technology (FAT) works with young women from socio-economically marginalised communities in Delhi, Jharkhand, Bihar and Maharashtra by enabling them to acess, use and create technology through a feminist rights-framework.

Help us reach more young women across India! For inquiries or more details, please visit www.fat-net.org/donate

करुणा कहानियां: गिरिडीह, झारखंड से मुस्कान से मिलें

मेरा नाम मुस्कान कुमारी हैं और मैं झारखंड के गिरिडीह जिले से हूँ । मैं FAT के साथ पिछले पांच सालों से जुड़ी हूँ।

FAT से जुड़ने के पहले मुझे ये उम्मीद थी कि मैं कंप्यूटर चलाना सीखूंगी ,और मैं यही सोच कर जुड़ी थी। लेकिन यहां जुड़ने के बाद कंप्यूटर के अलावा भी बहुत चीजों की जानकारी मिली जैसे:- पीरियड्स, मोल भाव, जेंडर, पितृसत्ता और लैंगिकता; इन जैसे मुद्दों पे अपना समझ बना सकी। कभी- कभी हमें एक्सपोजर विजिट के लिए बाहर ले जाया जाता था और अलग अलग लोगों से मिलने का मौका मिलता था, सीखने का मौका मिलता था| कम्युनिटी इवेंट के माध्यम से अपनी प्रतिभा समाज के लोग और अपने पेरेंट्स को दिखाने का मौका मिला।

पहले मेरे पास आत्मविश्वास की बहुत कमी थी, जिसके कारण मै किसी के सामने कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मुझे लगता था कि अगर कुछ गलत बोल दिए तो मेरा मजाक लोग बनाएंगे और डांट भी पड़ेगी लेकिन अब बहुत तरह की जानकारी मुझे FAT से मिली। मैं अब हर एक विषय को समझने की कोशिश करती रहती हूँ। मुझे इस बात का अब कोई डर नहीं रहता है कि मेरे बोलने से लोग क्या कहेंगे, अब मैं सिर्फ़ इतना सोचती हूँ की बस मुझे अपनी बातों को सामने लाना है अगर कुछ गलत भी हुआ तो भी यह विश्वास रखना की हम उस गलती से कुछ सीख ले सकेगें।

पहले मेरे अंदर लीडरशिप नहीं थी। मै अपने हक के लिए कुछ कर नहीं कर पाती थी, दूसरों के बातों में मैं बस हामी भरती थी और अपनी बातों को किसी के साथ बाँटा नहीं करती थी। लेकिन अब मैं इस सामाजिक भेदभाव ऊंच - नीच, असमानता को बखूबी समझ पाति हूँ। और इन समस्याओं पर आवाज उठा पाती हूँ। मैंने अपने घर में अपनी जगह बनाई है और अब समाज में भी लोग मुझे एक लीडर के तौर पर देखते है और मेरी इज्जत करते है जो की पहले मेरे साथ नहीं होता था।

मैं अब हर एक इवेंट या कॉलेज का कोई भी प्रोग्राम हो अब सभी में मै खुद को जोड़ती हूं। जो मुझे आता हैं वो मैं दूसरों को बताने की कोशिश करती हूं और जो दूसरों को आता है उन से सीखने की कोशिश करती हूं। मैं कॉलेज के तरफ से राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) में जुड़ी हूं। वहां पर भी मैं FAT से सीखी हुई जानकारी को इस्तेमाल कर रही हूं। मैंने कई सारे वर्कशॉप भी लिए है, अलग अलग संस्था के साथ जैसे- जेंडर,लाइफ स्किल, यौन शोषण को ले कर।

इस कॉरोना काल में जब सभी के काम और सभी साधन बंद हो गए तब FAT ने सभी की मदद की। रिलीफ़ फंड, फोन रिचार्ज फंड, और वैलनेस कोष के जरिए हमारी मदद हुई। मुझे रिलीफ फंड और फोन रिचार्ज की सहायता मिली। उस समय हमारे घर में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन रिलीफ फंड के जरिए जो मुझे मदद मिली। फोन रीचार्ज फंड से में अपना फोन रीचार्ज करवा पाई और FAT के साथ इस महामारी में भी जुड़ी रही। इस बीच भी टेक्निकल और अन्य मुद्दों पर जानकारी मिली- अखबारों को पढ़ना, दुनिया में क्या हो रहा है ये सब ज़ूम के माध्यम से जुड़ें सभी पार्टिसिपेंट के साथ शेयर करना और चीजों को समझना। साथ ही अपने मन से डर को दूर करना और दिमाग को थोड़ा शांत रखना। सही न्यूज़ को देखना और समझना, जो लोग डर रहे हैं इस महामारी से उन तक सही जानकारी पहुंचना ताकि वो ज्यादा डरे ना और अपने आप को बचा सके। अगर FAT इस दौरान मदद नहीं करता और ये कोरोना नहीं करुणा अभियान शुरू नहीं होता, तो अभी तक पता नहीं क्या होता इसका अंदाजा भी कोईं नहीं लगा सकता हैं। और इस दौरान कई लड़कियों पे गलत प्रभाव पड़ा। जैसे अचानक से उनके इच्छा के खिलाफ उनकी शादी हो गयी, उनके साथ मार पीट हुइ, कहीं का गुस्सा कहीं निकाला गया। अगर FAT मेरी मदद नहीं करता तो शायद मेरे साथ भी ऐसा हो सकता था। मैं FAT को शुक्रिया करना चाहती हूँ क्युकी मुझे काफी मदद मिली|

करोना महामारी के बीच मुस्कान ने अपनी मुस्कराहट को कायम रखा क्योकिं उसके साथ FAT का साथ था। कम्प्यूटर सीखना आज के समय की एक बहुत ही बड़ी जरूरत बन गया है। मुस्कान ने सोचा इसे सीखने से उसके लिए एक द्वार खुलेगा। पर FAT के कारण उसे नए ज्ञान नई आत्मशक्ति का बोध हुआ। मुस्कान ने अब समझ लिया है, बजाय अपने को किसी के आधीन करने से अच्छा है खुद पर विश्वास करके आगे बढ़ो। नेतृत्व की शक्ति हर इंसान में हो सकती हैं, परन्तु उस ऊर्जा को संचार करने के लिए एक सोच की और एक साथ की आवश्यकता होती है। ऐसा ही साथ मुस्कान को मिला अब वह एक आत्मविश्वास से भरपूर महिला है जिसने अपना भविष्य अपनी जैसी और जरूरत मंद महिलओं के साथ जोड़ लिया है।

इस कहानी को मुस्कान कुमारी ने बताया, रूपाली रानी द्वारा लिखी गयी और रेमी द्वारा अनुवाद की गयी। मुस्कान अब #CoronaNahiKaruna अभियान में भाग ले रही हैं।