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Karuna Stories: Roshni From Handadih, Jharkhand

Karuna Stories: Roshni From Handadih, Jharkhand

Submitted by Almas on 29 June 2021

My name is Roshni Kumari, and I live in Handadih, Giridh (Jharkhand). I am in the third semester of my bachelor’s degree. I have been associated with FAT since 2017.

I joined FAT to pursue a course in computers at their Tech Center in Giridih town. Before joining FAT, I had limited knowledge about technology, issues affecting girls and my role in the community. I would believe everything that was told to me, and never questioned or debated any information presented to me. That was how I was asked to be by my family. . My conversations were not given any importance, and everyone would just dismiss things I had to say. I was asked to keep quiet since I was a child. However, I wanted people to hear me out and understand what I was saying.

In my community, where I live, there is discrimination between boys and girls. Boys are considered more technology savvy than the girls, in fact, it is thought that girls are not capable of learning and understanding technology. So much so, that girls are misunderstood for possessing phones. At one point, I even started to believe that it was against our culture for girls to learn about technology and thought of giving up my interest in learning computers.

Since joining FAT – I am living my dream of learning computer technology. I now discuss issues, and inform people about government and non-government schemes, all because of the knowledge and confidence I gained at FAT.

During lockdown, I felt imprisoned at home and bound by the restrictions. I felt that I was losing skills I had gained, as I was unable to use the computer and even my phone which had stopped working. However, I received a smart phone from FAT that allowed me to take my educational journey forward along with FAT. I joined the online sessions provided by FAT to continue my pursuit of gaining knowledge and awareness.

During the lockdown, I got an opportunity to participate in three Action Projects of FAT. These were short projects managed by FAT for programme participants like us to gain skills and experience. I was part of the story writing action project, tutorial video (creation) action project and the peer learning action project.

I was able to help my friends after participating in these Action Projects. Everyone at home is very happy with me for learning new things. I found the Tutorial Action Project, the most interesting because of my love for technology. . It was about creating short video tutorials in Hindi on using different computer applications like email, word and excel document etc. Through this action project, not only were my techniques improving, but I was also teaching these to others.

I really like Tik Tok, Facebook and Instagram, so I keep posting different videos on them. I even post information on social media to change people’s mindset, people who think less of girls. Had there been no assistance, then maybe I would have gone back to my earlier life, struck down by patriarchal mindsets taking me away from my dreams.

As told by Roshni Kumari, transcribed by Rupali Rani and translated by Remi. Currently, Roshni is participating in the #CoronaNahiKaruna Campaign

Feminist Approach to Technology (FAT) works with young women from marginalised communities in Delhi, Jharkhand, Bihar and Maharashtra by enabling them to acess, use and create technology through a feminist rights-framework.

Help us reach more young girls across India to be able to access and use technology and build their agency.

To donate for our work, please visit www.fat-net.org/donate

For inquiries or more details please feel free to write to us at fat@fat-net.org

करुणा कहानियां: गिरिडीह, झारखंड से रोशनी से मिलें

मेरा नाम रोशनी कुमारी है। मैं हंडाडीह,गिरिडीह (झारखंड) की रहने वाली हूं। मैं अभी B.A सेमेस्टर तीन में पढ़ती हूँ । मैं FAT से 2017 से जुड़ी हुई हूँ । मैं पहले -पहले FAT में कंप्यूटर सीखने के लिए FAT के Giridih Tech Cente में जुड़ी थी।

FAT में आने से पहले मेरी अलग अलग मुद्दों में जानकारी का स्तर काफी कम था। या यह कह सकते है की बिना तर्क और वितर्क के मैं किसी की भी बातों पर विश्वास कर लेती थी। FAT में इतने दिन जुड़ने के बाद अब मैं यह मानती हूँ, कि यह मेरी गलती नहीं थी। हमारे समाज का ढांचा ही ऐसा हैं, मैं क्या सोचती हूँ, क्या चाहती हूँ, मेरी बातों को कोई महत्व ही नहीं मिलटा था। अक्सर सुनने को मिलता था की अभी बच्ची हो, ना समझ हो। यह सब बोल के चुप करवा देते थे। हालांकि मैं बच्ची तो थी लेकिन मैं अपनी बातों को सामने रखना चाहती थी, और मैं चाहती थी कि लोग भी मेरी बातों को सुने और समझे।

मेरे समाज में, जहाँ मैं रहती हूँ, वहाँ लड़के लड़कियों में भेद भाव करना,लड़कियों को तकनीक के मामले में कमतर या बहुत पीछे समझना या ऐसा कहूँ कि तकनीक सीखने के लायक ही ना समझना, आम बात थी। यहाँ तक कि लड़कियाँ अगर फ़ोन रखे तो भी उनको गलत ही समझा जाता है। यह हमारे समाज की पुरानी और संकुचित सोच है, और इन सोच और बंदिशों ने कहीं ना कहीं मेरे अंदर भी घर कर लिया था। लेकिन मुझे नई नई तकनीक, जैसे कि कंप्यूटर इत्यादि सीखने का बहुत मन भी था।

FAT में आने के बदलाव अगर मैं बताऊँ तो मैं अपने सपने को जी रही हूँ। मैं यह इसलिए भी कह रही हूँ, क्योकिं जैसाकि मैंने पहले भी बताया है कि मुझे नई नई तकनीक सीखना बहुत पसंद है ,और मैं यहाँ आ कर इन तकनीकों के साथ अन्य उपकरणों की जानकारी को सीख रही हूँ, और मेरे अंदर जो विश्वास भरे बदलाव आये, जैसे की किसी समस्या पर बात करने को लेकर हो या किसी सरकारी या गैर सरकारी स्कीम पर मैं अब सभी को समझा सकती हूँ और मैं ऐसा करती भी हूँ।

लॉकडाउन के वक्त मुझे लगा की मैं तकनीक से और अपने सपनों से दूर हो रही हूँ। मैं फिर से इन समाज के बंदिशों में फंसने वाली हूँ, क्योकिं मैं लॉक डाउन के समय अपने घर में कैद हो गयी थी। मैं कंप्यूटर या तकनीक का भी प्रयोग नहीं कर पा रही थी, इसके साथ जब मेरा अपना फोन भी खराब हो गया था, मेरे मन को अवसाद ने घेर लिया था। परन्तु जैसे ही मुझे FAT से एक फ़ोन मिला और साथ ही फ़ोन रिचार्ज भी, तो मैं काफी खुश हो गयी मुझे लगा की अब मैं घर में रह कर भी कुछ कर सकती हूँ, अपनी पढाई और FAT के साथ अपने सफर को आगे बढ़ा सकती हूँ। ठीक ऐसा ही हुआ और मैं FAT के ऑनलाइन सेशन में जुड़ के जानकारी को प्राप्त करती रही और अपना ज्ञान-वर्धन करती रही।

मैं यहाँ एक बात और जोड़ना चाहूंगी- लॉकडाउन में हमे यह अवसर मिला की हम एक्शन प्रोजेक्ट्स में भाग ले सकते है और मैंने लिया भी, और मैंने ऐसे तीन एक्शन प्रोजेक्ट्स किए:-

  • कहानी लेखन एक्शन प्रोजेक्ट
  • टुटोरिअल विडियो एक्शन प्रोजेक्ट
  • पियर लर्निंग एक्शन प्रोजेक्ट

इन सभी एक्शन प्रोजेक्ट को करने के बाद मैंने खुद में कुछ बदलाव महसूस किये और अब मैं पहले से ज्यादा सक्रिय थी। इसके साथ ही मैं अपने दोस्तों की मदद कर पा रही थी,और घर में भी मुझसे सभी खुश थे, कि मैं ऑनलाइन वर्कशॉप द्वारा नए ज्ञान को सीख रही थी और तब मैं बहुत प्रसन्न भी थी।

और इन सब में सबसे मनोरंजक एक्शन प्रोजेक्ट था टुटोरिअल विडिओ बनाना जैसा कि मैंने पहले भी बताया है कि मुझे फिल्मिंग तकनीक से बहुत लगाव है, और इस एक्शन प्रोजेक्ट को करते समय मैंने यह महसूस किया कि मैं तकनीक को और काफी अच्छे से सीख पा रही हूँ, और दुसरे को सिखा भी पा रही हूँ।

टिक टोक, फेसबुक इन्स्टा जैसे सोशल मीडिया मंच मुझे बहुत पसंद है। मैं अलग अलग वीडियोस भी डालती हूँ। इन वीडियोस के साथ मैं बहुत सारी जानकारी भी दर्शाती हूँ, ताकि लोगो की सोच में बदलाव आ सके, कोई भी अब लड़कियों को किसी से कम ना समझ सके।

अगर मुझे FAT से आर्थिक और तकनीकी प्रशिक्षण की सहायता नहीं मिलती, तो शायद मैं पहले के जीवन में फंसी रह जाती और समाज के उन्ही बंदिशों से निकल नहीं पाती और अपने सपने को पूरा करने से वंचित हो जाती।

जब किसीको अपने सपनो पर विश्वास होता है और किसी संस्था का साथ होता है तो वह नए रंगीन सफ़र पर निकल लेता और अपने रास्तें को अपने विश्वास की रोशनी से सजाता है।

इस कहानी को रौशनी ने बताया, रूपाली रानी द्वारा लिखी गयी और रेमी द्वारा अनुवाद की गयी।अब रोशनी #CoronaNahiKaruna अभियान में भाग ले रही हैं।