My experience in Mangalore | मैंगलोर में मेरा अनुभव
My name is Summi. I am currently an intern at FAT. I have been associated with FAT 5 years. I have learned many things at FAT and have always tried my best to teach others too.
I have been to many places through FAT, and I have always shared my learnings, experiences, changes, and challenges in different ways, because every time I learn something new. Like this time I learned a lot when I went to Mangalore for Young people & Communication panel at AMIC 2018.
There, people were mostly speaking English. But I could still tell my experience without hesitating in front of people. When people from other places gave their presentations, I saw that there were very few audiences there. I wondered if there would be so few people during our presentation as well? But when our young panel presentation began, I saw that there were people there. I felt good.
Before our presentation, I and some other people were made to launch a book. This is the second chance I had received to launch the book. I'm glad that I was considered an appropriate person to do this.
In the presentation, I had to tell about myself, what I learned from FAT and how my process of learning has been. After the presentation, a lot of people came and talked to me, but I could not get share much. Many people asked me for my card, but I did not have my own card. So I gave Deepika's card. Some people asked for my email ID with the card and asked if I could come if invited to a program to share my experience. I was very happy that I was receiving invitations.
There, a woman asked me in jest - when will we meet now? I said I do not know. She replied with a famous Shahrukh Khan dialogue, "When you want something with all your heart, the whole universe tries to make sure you get it." So I replied - okay, I do want to with all my heart, now let's see when we will meet. In such places, I feel very happy to meet new people, to know about them and tell them about me.
After coming from there, I got to see changes at my home too. I wondered if I was dreaming! The good thing is, it is not a dream, it is real. My family today feels that there is something unique about me. My father, who objected to my completing class 12th, asked me to fill my college application form. I could not believe when Papa said to my brother in front of me - do you have any talent in you? I felt a little strange that they are comparing between the two of us. I told my father that all of us have different kinds of talents.
I'm glad that now I receive encouragement from my family, especially from the person who used to stop me from doing anything outside the house. That person is my father.
- Summi
मेरा नाम सुम्मी है। मैं फैट में अभी इंटर्न के रूप में काम कर रही हूँ। मुझे फैट से जुड़े 5 साल हो गए हैं। मैंने फैट से जुड़ कर कई चीजे सीखी और हमेशा मेरी कोशिश रही की दुसरो को भी सिखाऊँ।
मैं फैट के जरिये कई जगह गई, मैंने अपनी सीख, अनुभव, बदलाव, और चुनौतियों को हमेशा अलग अलग तरह से बताया क्यूँकि हर बार ये मुझे कुछ नया ही सीखा जाते हैं। जैसे की इस बार मुझे मंगलौर में AMIC 2018 में Young people & Communication पैनल में जा कर बहुत कुछ सिखने को मिला।
वहाँ ज्यादातर लोग अंग्रेजी बोल रहे थे। लेकिन मैं फिर भी लोगो के सामने बिना हिचके अपने अनुभव को बता पायी। जब अन्य जगह से आये लोगो ने अपने प्रेसन्टेशन दिए तो मैंने देखा की वहाँ कम लोग थे। मुझे लगा की हमारे प्रेसन्टेशन में भी कही कम लोग तो नहीं आएंगे? पर जब हमारा यंग पैनल प्रेसन्टेशन शुरू हुआ तो वहाँ दिखा की लोग हैं। मुझे अच्छा लगा।
प्रेसन्टेशन देने से पहले मुझ से और मेरे साथ कुछ अन्य लोगो से बुक लॉन्च करवाया गया था। मुझे यह दूसरा मौका मिला था बुक लॉन्च करने का। मुझे ख़ुशी है की मुझे इस काभिल समझा गया।
प्रेसेंटशन मैं सबसे पहले मुझे अपने बारे मैं बताना था की मैंने फैट से जुड़कर क्या सीखा है और मेरी सिखने कि प्रक्रिया कैसी रही है। प्रेसेंटशन के बाद मुझ से काफी लोगो ने आकर बात की, पर मुझ से इतना कुछ शेयर नही हो पाया। कई लोगो ने मुझ से मेरा कार्ड माँगा, पर मेरे पास मेरा खुद का कार्ड नहीं था। तो मैंने दीपिका का कार्ड दिया। लोगो ने कार्ड के साथ मेरी ईमेल आईडी माँगी और कहाँ की अगर आप को आपके अनुभव जानने के लिए किसी प्रोग्राम में बुलाया जाये तो क्या आप आना पसंद करेंगी? मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी हुयी की मुझे निमंत्रण आ रहे हैं।
वहाँ पर मुझे एक महिला ने मजाकिया तौर पे पूछा - अब हम कब मिलेंगे? तो मैंने उनसे कहाँ की मुझे नहीं पता। उन्होंने इसके उत्तर में शारुख खान का एक डायलॉग मारते हुए कहा - जब किसी चीज को बड़े शिद्दत्त से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने की कोशिश करती है। तो मैंने उनसे कहाँ - ठीक है, शिद्दत तो है, अब देखते है कब मिलेंगे। ऐसी जगहों में मुझे नये लोगो से मिलकर, उनके बारे मैं जानने में और उन्हें अपने बारे मैं बताने में बहुत प्रसन्नता महसूस होती है।
मुझे वहाँ से आने के बाद अपने घर वालो में भी बदलाव देखने को मिला। मुझे लगा कही मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ? खुशी की बात है, यह सपना नहीं हक़ीक़त है। मेरे घर वालो को आज कल लगता है की मुझ में कुछ तो बात है। मेरे पापा, जो मुझे 12th क्लास करने से रोकते थे, उन्होंने मुझे कॉलेज का फॉर्म भरने के लिए कहाँ। मुझे यकीन नहीं हुआ जब पापा ने मेरे भाई को मेरे सामने कहाँ की क्या तुझ में कोई टेलेंट है? मुझे थोड़ा अजीब लगा की वो हम दोनों के बीच में तुलना कर रहे हैं। मैंने अपने पापा से कहाँ की सबके अंदर अलग अलग हुनर होता है।
मुझे ख़ुशी है की अब मेरे घरवालों से मुझे बढ़ावा मिलता है, खासकर उन इंसान से आज कल मुझे साथ मिल रहा है जो कभी मुझे घर के बाहर कुछ भी करने से रोकते थे। वह इंसान मेरे पापा हैं।
- सुम्मी