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FAT and the changes in my life | फैट और मेरी जिंदगी के बदलाव

FAT and the changes in my life | फैट और मेरी जिंदगी के बदलाव

Submitted by priyanka on 15 September 2018

My name is Komal. I am doing an internship at FAT's Pune Tech Center. When I was asked if you would like to work with FAT, at first I was not happy but afraid of my family. We are told at home - We are three brothers. You do not have to go for a job. Women and girls are better at home. Going out will ruin you. That's why no girls in my family have ever thought of getting jobs. Because everyone is either afraid of the brothers or the family.

My family is very big. And all the boys and girls have completed their studies. But the boys are going to work and not the girls, because there is a limit set in the household - girls should stay at home. When I said that I wanted to work with FAT, everyone screamed at me, and the elder brother even slapped me. Then I asked my father. My father supported me. At that moment I decided in my mind that if I work with FAT, then I will have to do all my household work early in the morning so that my family does not get any chance to say that since I started working household chores are left out. I used to go to the Tech Center after completing all the work at home and was still always on time. Still many difficulties came. Shouting and yelling became an everyday habit.

I had to go to Delhi for training a few days after starting my internship, that too for 6 days. This was a great opportunity for me. It was very difficult when I had to tell my family that I had to go to Delhi. My father helped me in that too. The neighbors filled my mother's ears with many suspicions when they heard I was going to Delhi. Because my father allowed, I was able to go to Delhi, that too by airplane. It was a great opportunity for me. I never imagined that I would ever travel by airplane.

After this training, I started slowly to take classes. My first change was joining the girls and talking to them during classes because I otherwise do not speak much. But now many changes are visible in me. In the settlement I live in, I teach girls now, I bring girls to the Tech Center. At first, my identity was as my mother's daughter. But today, my identity is "Komal who teaches us computer". I was happy to see that an identity of my own was also forming.

I want to talk a bit about my family. Recently, when a Team Member told me that a retreat for FAT team is being organized, that too in Manali, followed by a training in Delhi, I was very excited. Manali is such a good place. But I was also aware that I will not be allowed to go. So I clearly told my colleague that I cannot come. After getting a lot of encouragement from my team member, one day I told in front of the whole family seeing the opportunity. I said that I have to go to Delhi, for training. When I shared about the retreat, all the people in my family started shouting at me. I did not say anything back, I wanted to hear what they were thinking. Speaking to the three brothers was very scary for me.

But I courageously put my words in front of them and explained to them. We have never even thought of going so far. But FAT is giving me this opportunity. So why should I let this opportunity go away? After a while one of my brothers said that you can go to Delhi for training. I was very happy and surprised that he allowed me to go to Delhi. And a lot of questions started coming in the mind too. Nevertheless, I re-told my brother that there is a retreat in Manali first. After that, there is a training in Delhi. He started thinking a little bit, but did not say anything.

When I was sleeping at night, the whole family talked about me and later they gave me a surprise. You can go to Manali! We never thought of going to such a place, if you are getting an opportunity then you should go. They said that we have such a big family. To this day our boys and girls have received so much education - even after that, they have never stepped out of the house. But you are going. It's a happy moment for us.

At that time I realized that there has been a change in my identity, respect and my thinking - and it came to me through FAT. Today, in my family, I am seen differently. I am very happy.

Often, the daily work we do is not valued. But on that day, the eldest and most important men of my house highlighted me in front of everyone and they said such good things about me, that too in relation to my work. It was surprising for me to see. And all this change came to me through FAT. If I had not associated with FAT, then I would have been very different today. My thinking would have been different, like a closed room.

- Komal
(Komal is an intern at FAT and manages the Pune Tech Center today)

Description Hindi

मेरा नाम कोमल है। मैं पुणे के टेक सेंटर में Internship कर रही हूँ। जब मुझे पुछा गया की क्या तुम फैट से जुड़कर काम करना चाहोगी, तो सबसे पहले मुझे खुशी ना होकर मुझे अपने परिवार (भाई) का डर लगा। घर में कहा जाता है की - हम तीनो भाई है। तुम्हे जॉब पर जाने की जरूरत नहीं है। और औरते, लड़कियाँ, घर में ही अच्छी है। बाहर जाकर तुम बिगड़ जाओगी। इसलिए मेरे घर की कोई भी लड़कियाँ जॉब करने की सोचती ही नहीं। क्योकि सबको या तो भाई का डर है या परिवार का।

मेरा परिवार बहुत बड़ा है।और उनमे लड़के और लड़किया सभी का पढ़ाई पूरा हुआ है। पर जॉब को लड़के जा रहे थे और लड़किया नहीं, क्योकि घर में एक सीमा थी - की लड़कियाँ घर में ही अच्छी हैं। जब मैने अपने घर मे कहा की मुझे फैट से जुड़कर काम करना है, तो सभी ने मुझ पर बहुत चिल्लाया, और बड़े भाई ने एक थप्पड़ मारा भी। फिर मैने पिताजी से कहा। मेरे पिताजी ने मुझे फैट से जुड़कर काम करना मे सपोर्ट किया। तब मैने मन मे तय कर लिया की अगर मैं फैट में जुड़कर काम कर रही हु तो मुझे सुबह जल्दी उठकर पहले घर का काम करना होगा ताकि मेरे परिवार को कोई मौका ना मिले यह बोलने का की जब से जॉब जा रही है घर का काम नहीं हो रहा है। मैं सब काम करके टेक सेंटर जाती, वो भी समय पर। फिर भी कुछ कुछ कठिनाई आई। रोज रोज चिल्लाना एक आदत ही हो गई थी।

मुझे काम शुरू करने के कुछ दिनों बाद ट्रेनिंग के लिए दिल्ली जाना था, वो भी 6 दिन के लिए। ये मेरे लिए एक बहुत बड़ा मौका था। बहुत मुश्किल आई जब घर में ये बताना था की मुझे दिल्ली जाना है। उसमे भी मेरे पिताजी ने मेरी मदद कि। लोगो ने तो दिल्ली सुनकर ही मम्मी के कान भर दिए थे। जब पिताजी ने हाँ कहा तब मैं दिल्ली आई, वो भी हवाई जहाज से। यह मेरे लिए बहुत अच्छा मौका था। मैंने कभी सोची ही नहीं था की मैं कभी हवाई जहाज से जाऊगी।

इस ट्रेनिंग के बाद मैंने धीरे -धीरे क्लास लेना शुरू किया। क्लास के दौरान लड़कियों से जुड़ना, लड़कियों से बातचीत करना, वही मेरा पहला बदलाव है, क्योकि में ज्यादा बोलती ही नहीं थी। पर अब बहुत बदलाव मुझमें दिख रहे है। जिस बस्ती में मैं रहती हु, वह की लड़कियों को अब में पढ़ाती हूँ, टेक सेण्टर में लड़कियों तो लाती हूँ। पहले मेरी पहचान मेरी माँ से होती थी। पर आज मेरी पहचान है "कोमल जो हमें कम्प्यूटर सिखाती है"। यह देखकर मै खुश हुई की मेरी भी एक पहचान बन रही है।

कुछ अपने परिवार के बारे में कहना चाहती हूँ। हाल ही में जब मुझे एक टिम मेम्बर ने कहा की फैट की टीम के लिए रिट्रीट का आयोजन हो रहा है, वो भी मनाली में, और साथ ही दिल्ली ट्रेनिंग भी है, तो में बहुत उत्साहित हुई की इतनी अच्छी जगह है। पर नही जाने मिलेगा ये भी पता था। मैने साफ - साफ बोल ही डाला की मै नही आ सकुंगी। मेरी टीम मेंबर से काफी प्रोत्साहन मिलने के बाद एक दिन मौका देखकर पूरे परिवार के सामने मैंने कह दिया की मुझे दिल्ली जाना है, ट्रेनिंग के लिए। जब रिट्रीट की बात की सब घर के लोग मुझ पर चिल्लाने लगे। मैने उल्टा कुछ नही कहा, मैं उनकी बात सुनना चाहती थी वो क्या सोच रहे है। और तीनो भाइयों के सामने बोलना मेरे लिए बहुत खतरनाक था।

पर मैने हिम्मत करके आखिर में अपनी बात उनके सामने रखी और उन्हें समझाया। हम कभी इतनी दूर जाने का सोचते भी नही। पर मुझे फैट यह मौका दे रहा है। तो मैं यह मोका क्यो हाथ से जाने दू। थोड़ी देर बाद मेरे एक भाई ने कहा की तू ट्रेनिंग के दिल्ली जा। मैं बहुत खुश और हैरान हो गई की उसने मुझे दिल्ली तो जाने की अनुमति दे दी।और मन में बहुत सारे सवाल भी आने लगे। फिर भी मैने अपने भाई को कहा की पहले मनाली में रिट्रीट होने वाला है। फिर दिल्ली मे ट्रेनिंग होने वाला है। वह थोड़ा सोचने लगा, पर कुछ नही बोला।

रात के समय जब में सो रही थी, तब घर वाले मेरे बारे में आपस में बातचीत किया और मुझे उन्होंने एक सरप्राइज दिया। की तुम मनाली जाके आओ! हम ने कभी ऐसी जगह जाने का सोचा ही नहीं, अगर तुम्हे मौका मिल रहा है तो तुम जाओ। उन्होंने कहा की अपनी इतनी बड़ी family है। आज तक हमारे घर के लड़के और लड़कियाँ इतना पढ़े -लिखकर भी कभी घर से बाहर नही गए। पर तुम जा रही हो। हमारे लिए ख़ुशी की बात है।

तब मुझे महसूस हुआ की जो मेरी पहचान, इज्जत और मेरे सोच - विचारो में बदलाव हुए हैं वो मुझे फैट में आकर मिला। आज मेरी family में मुझे एक अलग नजर से देखती है। मैं बहुत खुश हूँ।

अक्सर हम जो रोज़ाना काम करते है उसका हमें कोई वेल्यु नही देता। पर उस दिन मेरे घर के सबसे बड़े और मुख्य पुरुष मुझे सब के सामने लेके आये और मेरे बारे में उन्होने इतना अच्छा बोला, वो भी मेरे काम के सम्बन्ध में। यह देखना मेरे लिए आश्चर्य की बात थी। और यह सब बदलाव मुझे फैट में आकर मिला। अगर मैं फैट से नही जुडती तो मैं आज अलग होती। एक अलग सोच -विचार होते, एक बंद कमरे की तरह।

- कोमल
(कोमल फैट की एक इंटर्न है और आज पुणे टेक सेण्टर को संभालती हैं)