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तीन बहनें- Three Sisters

तीन बहनें- Three Sisters

Submitted by Meetu on 15 February 2021

यह कहानी मेरी दोस्त रेणु के घर की है। उसका परिवार बड़ा है, माता-पिता, तीन बहन और एक भाई है। भाई-बहन में सबसे बड़ी रेणु 24 साल की है और बाहर राँची में नौकरी करती थी। दूसरी है रिया, 20 साल की, जो कॉलेज में पढ़ती थी। तीसरी बहन सिमरन, 18 साल की है जिसकी पढ़ाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। मुश्किल से उसने बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की। पढ़ाई आगे नहीं करने के कारण वह घर ही रहती है। उसको अधिकतर घर का काम करना पड़ता है। घर में गाय है तो उसकी देखभाल से लेकर रसोई, साफ़-सफाई का काम उसके ही ज़िम्मे है। रेणु का परिवार अच्छे से रह रहा था, लेकिन लॉकडाउन ने उलट-पुलट कर दिया। 23] मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी । रेणु के पिता अलग-अलग तरह का काम करते थे, जैसे गाय का दूध बेचना और बीच-बीच छोटा-मोटा होटल में रसोइये का काम ।

रेणु ने M.A किया है वह एक ऑफिस में दो साल से नौकरी कर रही थी। उसके कारण घर की स्थिति में काफी सुधार आया था । लेकिन जब लॉकडाउन की घोषणा हुई और वह बढ़ते ही चला गया तो उसकी नौकरी चली गई। स्कूल, दुकानें पूरा मार्केट बंद होने लगा । सभी अपने अपने घरों में बंद होते जा रहे थे। रेणु भी अपने घर लौटना चाह रही थी। मगर गाड़ियों का आना जाना रुक गया था। मजबूरी में वह राँची में ही रही। वहाँ दो लड़कियों के साथ एक कमरे में रहती थी। अचानक उन लोगों का बाहर जाना बंद हो गया था पूरा बाजार बंद होने के कारण उनको अपनी बुनियादी जरूरत की चीजें भी नहीं मिल पाती थीं थी। पैसे भी घटने लगे थे। कुछ दिनों बाद दोनों समय का खाना भी भारी पड़ने लगा था। कई बार मुश्किल से दिन में एक वक्त खाना खाती थी। । किसी को वहाँ उस हाल में रहना अच्छा नहीं लग रहा था। रेणु सिर्फ अपने घर आना चाहती थी।

दूसरी तरफ रेणु के घर वाले भी परेशान हो रहे थे। फोन पर रेणु का दुखड़ा सुन सुनकर वे बेचैन हो रहे थे। रेणु अपनी माँ से कहती, " माँ , मुझे यहां बिल्कुल जेल जैसा लगता है। मुझे बस घर आना है।"कि नौकरी के दौरान रेणु अपने कमरे में शाम में लगभग 7 बजे तक लौटकर आती थी। उसे घूमना बहुत पसंद है। इसलिए वह बाजार घूमते हुए और सामान लेकर कमरे में आती थी। अब हर वक्त कमरे में रहना सचमुच जेल जैसा लगता था। इसलिए उसकी माँ जल्द से जल्द रेणु को घर लाना चाहती थी। दूसरी तरफ उसके पिता का भी होटल का काम बंद हो चुका था अब वे सिर्फ दूध का ही कारोबार करते थे। उनके पास और कोई उपाय नहीं था। उन्हीं से परिवार का भरण पोषण हो रहा था।

लॉकडाउन के कारण रेणु की दूसरी बहन रिया का कॉलेज बंद हो गया था और उसकी पढ़ाई रुक गई थी। भाई की भी स्कूल की पढ़ाई रुक गई थी। इसी तरह दिन गुजर रहे थे । रेणु घर आने की बात बार-बार करती थी। लॉकडाउन लागू होने के दो - ढाई महीने बाद रेणु की माँ ने उसके पापा को राँची भेजा। उस समय भाड़ा गाड़ी का आना जाना बंद था, इसलिए रेणु खुद से घर नहीं आ पाती। उसके पापा शुरू में कुछ दिन तो टालते रहे थे। आखिर में 180km दूर राँची मोटरसाइकिल से गए। र बीच रास्ते में एक रिश्तेदार का घर आता था तो वहां एक दिन रुक कर फिर राँची की ओर चले, और फिर आने समय भी उन्होंने ऐसा ही किया।

रेणु कहती है कि जब लॉकडाउन के दौरान वह अपने पापा के साथ घर आ रही थी तो उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह रास्ता बहुत अलग सा है। एकदम खाली, सुनसान लग रहा था। पहले रास्ते में इतने लोगों की भीड़ रहती थी, इतनी दुकानें थीं। और अब सब शांत, ट्रैफिक सब बंद। उसे एक और नयी दुनिया जैसा प्रतीत हो रहा था ।मानो रेणु और उसके पापा के अलावा वहां कोई है ही नहीं, उसने पहली बार यह नजारा देखा था ।

साफ वातावरण, प्रदुषण मुक्त। न भीड़-भड़क्का और न कोई झगड़ा-झंझट। सफर करने में परेशानी भी बहुत कम। सही मायने में मोटरसाइकिल पर बैठने का आनंद आ रहा था। घर आकर रेणु खुश थी। लेकिन नई नई समस्या उत्पन्न हो रही थी। घर में बस दो-तीन गाय में ही गुजारा हो रहा था।

परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण जरूरत की चीजों में भी कमी आ रही थी। इसी कारण घर में उलझन पैदा हो रही थी। बहुत झगड़े होने लगे थे। उसका छोटा भाई भी किसी की बात नहीं मानता था और घर में हल्ला करते रहता था। रेणु के लिए यह सब बहुत ही दर्दनाक था। उसे ऐसा लग रहा था कि क्या करूं मैं जो अपने घर की स्थिति को सुधार सकूं। उसकी बहनों को भी अच्छा नहीं लग रहा था एक दिन घर में रेणु के माता-पिता के बीच खूब झगड़ा हुआ

जब रेणु की माँ ने रेणु के पिता से जरूरत की चीजें और पैसों की माँग की तो तो वे भड़क उठे। कहने लगे," घर का दुखड़ा मुझे मत सुनाओ। हम कहां से लाएं। मेरे पास थोड़ी ना है, माँगोअपनी बेटी से। "रेणु की माँ माँ - "अभी सब घर में हैं तो पैसे कहां से आएंगे। रेणु भी राँची से वापस आ गई है,और उसके पास जो था वो दे ही रही थी।" रेणु के पापा -- "तो हम अभी कहां से लाएं और एक ही बात बार-बार हमको सुनाया मत करना।"

यह कहकर वह वहां से चले गए।रेणु अपनी माँ को चुप रहने और शांत रहने को कह रही थी। फिर रेणु ने कहा कि माँ तुम पापा से झगड़ो मत। बड़े हम हैं और हम कुछ न कुछ करने की कोशिश करते हैं । सब परेशानियों को देखकर रेणु ने सोचा कि मेरे पास नौकरी नहीं है तो क्यों नहीं मैं कुछ बच्चों का ट्यूशन पढ़ाना शुरू करूँ। उसने अपनी बहनों से बात की और रिया से कहा कि तुम आसपास के घर चली जाओ और कहना कि रेणु दीदी ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर रही है और आपके बच्चे से पैसे भी कम लिया जाएगा। " वहां के आसपास के लोगों ने सोचा कि रेणु पढ़ी-लिखी भी है और अभी उनके बच्चों की पढ़ाई भी बहुत दिनों से पूरी तरह से छूट चुकी है। ऊपर से पैसे भी कम थे। तो वे अपने बच्चों को भेजने के लिए तैयार हो गए। जल्दी ही रेणु के पास कुछ बच्चे पढ़ने के लिए आने लगे। साथ में रेणु ने अपने भाई को भी पढ़ाना शुरू कर दिया।

यह सब देखकर रिया भी उत्साहित हुई। उसने कहा कि "मैं अगर आसपास के लोगों को दूध पहुंचने का काम करूँ तो अच्छा रहेगा ना"। रेणु ने कहा ठीक है! आसपास के घर के लोगों से बात करके देखो। फिर रिया ने आसपास के लोगों से बात की। पहले तो लोगों ने कहा कि बाद में बताते हैं। फिर 7-8 दिन बीत जाने के बाद कुछ लोगों ने कहा कि ठीक है दूध ले लेंगे, पर दाम सही सही लगा दीजिएगा।" रिया को रेणु से बहुत हिम्मत मिली थी। उसने अपने घरवालों से बात की और पिता को समझाया कि पापा यहां के लोगों से 2-4 रूपए कम लेते हैं तो हम लोगों की ज्यादा बिक्री होने लगेगी। और अभी जैसी स्थिति है, ना से हाँ सही। लॉकडाउन हटने के बाद पहले की ही तरह पैसा कर देंगे।

पापा चुप रहे, लेकिन उसकी माँ राजी हो गई। बाद में उनके पापा ने भी कहा "ठीक है करो।" रेणु तो रिया की पीठ पर थी ही। उसने कहा, “रिया, अभी ऐसा करना जरूरी है और तुम करो।” हरी झंडी मिलते ही रिया अपने आस-पास के घरों में दूध पहुंचाने लगी। रेणु और रिया की तीसरी बहन सिमरन घर के काम में लगी रहती थी। रेणु उसे घर के काम के साथ - साथ पढाई करने को कहती थी ताकि आगे चल कर वह कुछ कर सके। लेकिन सिमरन का मन पढ़ाई में रमता नहीं था। हाँ, उसने अपनी पसंद के काम को ही आगे बढ़ाने की ठानी।

सिमरन ने अपनी दोनों दीदी के काम को देखकर घर में खाद बनाना-बेचना शरू किया। अपनी माँ की मदद ली। थोड़ा बहुत घर में सब्जी उगाना और बचना भी शुरू किया। धीरे धीरे कुछ लोग उनसे खरीदने लगे। तीनों बहनों की बदौलत घर की स्थिति में थोड़ा सुधार होने लगा । फिर उनके पिता भी इन सब कामों में उनका साथ देने लगे थे। जैसे दूर घरों में दूध पहुंचाना। और उनसे कहना कि मेरी बड़ी बेटी कम पैसों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है तो आप अपने बच्चे को भेज सकते हैं। इसी तरह खाद बिकवाने में वे सिमरन का हाथ बँटाने लगे ।

एक दिन रेणु ने अपनी दोनो बहनों से मज़ाक में कहा, " मान गए कि तुम लोग मेरी ही बहन हो। मुझसे इतना कुछ सीख गई। कि तुम सब भी मेरी तरह घर को सँभालनेमें साथ देती हो।"सिमरन ने कहा, "हां हां अपनी तारीफ खुद कर लो।” इस पर रेणु इठलाई,"तुमलोग तारीफ नहीं करती हो तो मैं क्या करूँ ? खुद ही अपनी तारीफ़ कर लेती हूं। " रिया ने कहा, "हाँ दीदी, यह बात तो सही है कि नौकरी छूट जाने के बावजूद तुमने घर को संभाला। इसलिए हम दोनों को भी हिम्मत मिली।” सिमरन ने सर हिलाया,"रिया दी ,आपकी बात तो सही है।" उसके बाद रेणु बोली,"चलो ठीक है। अब इतनी भी तारीफ मत करो और जिंदगी में अपने आप पर विश्वास रखना और आगे बढ़ते रहना। और हां सिमरन, तुमको पढ़ाई करना ही है। सिमरन ने वादा किया, --" पक्का दीदी।"

फिर रेणु, रिया, सिमरन सब अपने-अपने काम में व्यस्त हो गईं। माँ-पिता दरवाज़े की ओट से तीनों बेटियों की बात सुन रहे थे और उनकी आँखें खुशी से छलछला आईं।

 

This story is about my friend Renu. She had a big family with mother, father, 3 sisters and a brother। Renu is the eldest among all the siblings and she is 24 years old. Renu works in Ranchi. Riya is the second sister who is 20 years old and studies in college. Third sister is Simran, 18 years old who is not interested in studies. With a lot of difficulty she has completed her 12th standard. She stays back home as she is not studying. She did the household chores mostly. They have a cow in the house. She looked after the cow and also did the cleaning of the house. Renu’s family was living properly but this lockdown changed the entire circumstances. March 23rd the entire country went under lockdown. Renu’s father did small scale work like selling the cows milk and sometimes he worked as a cook in small hotels.

Renu did her M.A and she was working in an office for 2 years. She was able to take care of the household because of her work but when lockdown was declared and was extended she lost her job . Schools, markets, everything closed down and everyone was confined in their houses. Renu wanted to come back to her own house, but there was no conveyance so had to stay back in Ranchi. Renu resided with two other girls, because the market was closed they could not even buy their essential goods. They were running out of money, at times they ate only once a day as they could not afford meals for twice a day. No one liked to stay in that condition and Renu only wanted to come back home.

On the other hand listening to Renu’s problems her family was getting worried. Renu kept telling her mother “Ma I feel like I am living in a jail, I want to come back home”. During Renu’s job she returned back to her house around 7pm, she loved to wander around. That’s the reason she would go to the market on the way back from work, buy goods and then return back home, but now she really felt like being confined in a jail. Renu’s mother wanted to bring Renu back home, on the other hand Renu’s father did not work in the hotel’s anymore he only sold the cow milk, he had no other way and whatever money he made would be used to run the house.

Due to lockdown Renu’s second sister Riya’s studies also stopped as the colleges were closed and also her brother’s studies were affected. This is how the days were passing by, Renu constantly asked to come back home. After two or two and a half months of lockdown Renu’s mother sent their father to Ranchi. At that time there was no conveyance to travel by, that’s the reason Renu could not come back home. AT first Renu’s father kept procrastinating. Her father traveled 180km by his own motorbike. They had a relative’s house in between where his father stopped by and then he started back his journey to Ranchi. On the way back also they stopped by at the relatives house.

Renu said when she was coming back home with her father she felt the roads were unknown to her. The roads were empty, earlier we could see so many people, shops on the way. Now everything is so peaceful, no traffic, there was no one else on the road except for Renu and her father. She felt that it was a new world altogether. There was no pollution, no crowd, no fights on the road. That was the perfect time for a motorcycle ride and she was enjoying it. Renu was happy returning back home, but everyday there was a new problem which arose. They only had 2-3 cows which was getting some money home. The family had a lot of members because of which it was getting difficult to fulfill everyone’s needs. That was creating a lot of problems. Quarrels started arising among the family members, her youngest brother was disobedient and didn’t listen to the elders. Renu was not happy with the circumstances and kept thinking that how can she fix the condition of her house! Renu’s sisters were not happy either. One day her parents had an argument, Renu’s mother asked for some money and some essential goods from her father, on which Renu’s father got furious. He said “Don’t crib in front of me with miseries, where would I get money from? Ask your daughters !

Renu’s mother- “ Everyone is home, where will they get money from? Renu is also back from Ranchi and whatever she had, has contributed to the family”. Renu’s father:- “So where will I get it from? And stop repeating the same thing to me.” Renu’s father left, Renu asked her mother to keep quiet and keep calm. She said to her mother not to say anything to father, ‘ Renu said we are elders and we would try to do something about it.” Renu thought that as she has no job right now she could start teaching tuitions to the children next door. She asked her sister Riya to go to the neighbors and tell them that Renu didi will be teaching their children and also would charge them very less. People thought that Renu is well educated and the studies of their children has also been on stop for very long, and there is a shortage of money so they agreed to send their children for tuitions. Very soon Renu had her students to teach, she also started teaching her own brother seeing this Riya got excited too. She said “If I start selling milk to the people in the neighborhood it will be great isn’t it?” Renu said “Okay”. First talk to them! Riya spoke to those people , at first they said they would see to it.. Later after 7-8 days they said they would take the milk but only if she sells it at the right price!

Riya was really inspired by Renu, Riya told her father that we should take 2-4 rupees less from customers so we might get good sales of the milk. Looking at the circumstances it's better to have something rather than nothing. Once the lockdown will be over we can switch back to our old price. Renu’s father kept quiet but mother agreed to it. She said” Yes do it”, Renu supported Riya and said “ This is needed right now so you do it”. As soon as Riya got a green flag she started to deliver milk to her customers. Renu and Riya’s younger sister Simran was busy doing household chores, Renu asked her to study so that she could do something ahead in her life. Simran had no interest in studying but she decided to work on what she liked to do. Looking at her sisters she started making fertilizers and sold it with the help of her mother. She also started growing some vegetables at home and sold them, she made few customers as well. Because of these three sisters the circumstances of the house started getting better.

Later their father also contributed in helping them deliver milk to the customers who lived far away and telling them that my elder daughter teaches tuitions at a very minimal price. You can send your children as well. He also helped Simran to sell her fertilizers.

One day Renu bantered and told her sisters ``Now I know you are my sisters only, you have learnt so much from me, you both also contribute and help to bear the household responsibilities like me.” Simran said “ Yes yes praise yourself “. This time Renu said with an attitude “ You don’t praise me what can I do? So I praise myself only.” Riya said “ Yes didi this is true that even after losing your job you took the responsibility of the house which motivated us both as well.”

Simran nodded her head and said “Riya didi you are right”. Renu said “ Okay fine don’t praise me so much, keep faith and confidence In yourself and keep moving ahead in life. She said to Simran that she has to study.

Simran promised- “Promise didi”.

Then all three of them got back and were busy with their work. Their parents were listening to their conversations standing at the door. They were really happy and their eyes were full of tears.

Written by Priya Kumari (19), Giridih, Jharkhand

This article is part of an Livelihood Action Project of FAT with young girls from Bihar and Jharkhand to enable them to become professional story writers. The training for story writting was done by Purwa Bharadwaj, and she edited and finalised the story in Hindi. The English translation of this story was done by an intern from TISS, Aqsa and final edits by Meetu Kapoor.