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Uma reflects on fears

Uma reflects on fears

Submitted by priyanka on 11 November 2017

It is very strange that I am very afraid, it is an unnatural fear and I want to overcome this fear but I am not able to. What should I do? My fear makes me feel very weak and incapable which is scary for me.

I am afraid of making mistakes, that I should do my work without errors, I don’t want to spoil what others have done well and I don’t want to be angry with others or behave strangely with them.

I stop myself at every step and I think so much that I am sad and worried all the time and I keep telling myself this is not the way to do that and that is not the way to do this. I also tell others, don’t work this way, it is wrong or don’t do this, something will happen, I have found that I stop others because I am afraid.

I was always a good student as a kid but I had a weakness, I used to accept what others said very easily, whatever I heard from my family, heard at school and from outside I accepted, but when I spoke, I was ignored. I have become this porcelain doll who is always afraid and I am scared of doing anything at all.

People told me that if you go outside, you will get raped; if you don’t (do household) work, your husband will throw you out; if you don’t work, you are good for nothing; if you talk too much, people will stop listening to you; if you trust people, they will betray you.

I have heard so much that it is has affected my personality and I find it difficult to get these thoughts out of my head. People have taught me to fear but no one has taught me how to understand or overcome these fears, which is why I have just been afraid all my life. But now, I want to face my fears and use the courage inside me to fight my fears and move ahead.

- By Uma (Uma is a Level 3 participant in the Young Women’s Leadership Program and has been associated with FAT for 3 years)

Description Hindi

बढ़ी ही अजीब बात है की मैं बहुत डरती हूँ, जो की बहुत अजीब सा डर है। मुझे आपने इस डर पर काबू पाना है, मगर मैं नहीं कर पा रही हूँ.

मैं क्या करूं? और मेरा डर मुझे बहुत कमजोर और असहाय महसूस कराता है जो की बहुत डरावना होता है। मुझे तो गलती करने से डर लगता है, की मैं अपना काम न खराब करूं, मैं लोगो का काम न खराब करूं। मैं दुसरो को गुस्सा या अजीब सा व्यवहार न करू। मतलब की मेने आपने को इतना हर चीज से रोक लिया है की मैं कभी इतना सोचती हूँ की मैं परेशान हो जाती हूँ। जो की बहुत दुःख देता है. मैं हर समय आपने को समझती रहती हूँ की ऐसे नहीं करते, वैसे नहीं करते है, और फिर दुसरो को भी कहती हूँ की तुम ऐसा मत करो ये गलत है, वैसा मत करो ये हो जायेगा। मतलब में आपने डर के कारण दुसरो को भी रोक देती हूँ!

मैं बचपन से बहुत पढ़ने में अच्छी थी। मगर मेरी एक कमजोरी भी थी की मैं सबकी बाते बहुत प्यार से मान जाती थी, जिस कारण जो मेने लोगो से सुना, स्कूल में सुना, परिवार में सुना, सब मान लिया। मगर मेने जो कहा वो लोगो ने नजर अंदाज कर दिया। जिस कारण बस मैं सुनने वाली गुड़िया हो गई। हर समय डर लगता है जिस कारण मैं कई भी चीजे करने से डरती हूँ !

मुझे लोगो ने कहा की तू बहार जाएगी तो कोई तेरी इज्जत लूट लेगा, तू काम नहीं करेगी तो तेरा पति तुझे निकल देगा, तू काम नहीं करेगी तो तू किसी काम की नहीं रहेगी, तू ज्यादा बोलेगी तो लोग तुझे नहीं सुनेगे, तू लोगो पे भरोसा करेगी तो लोग तुझे धोखा देंगे। ऐसी और कई बाते बोली, जिससे मेरे व्यक्तित्व से निकाल पाना बहुत मुश्किल होता है !

लोगो ने मुझे डरना सिखाया, मगर उसका सामना करना किसी ने नहीं सिखाया और न समझाया, जिस कारण मैं अपनी जिंदगी बस डरती रह गई !

मगर अब मैं खुद से उस डर का सामना करके अपनी मन की हिम्मत को जगाना चाहती हूँ , जो मुझे आगे बढ़ने में मदद करे!

- उमा द्वारा लिखित। उमा फैट की यंग वीमेन'स लीडरशिप प्रोग्राम में लेवल ३ की प्रतिभागी है.